स्पेशल डेस्क। रावण जल गया है, राम के अयोध्या लौटने की तैयारी होने लगी है। दियों के बाजार गुलजार है लेकिन हम हैं कि इस सादगी को छोड़ दूसरी चमक की ओर ही भाग रहे हैं। ऐसी चमक जिसके नीचे दीपावली की रौनक कहीं दबकर रह गई है। चारों ओर पटाखों का शोर है और दीपावली का अर्थ न जाने कहां खो गया है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इस साल हम सब मिलकर ईको-फ्रेंडली दीपावली सेलीब्रेट करें। जो न केवल हमारे लिए खास हो बल्कि पर्यावरण का सुकून भी बनाएं रखे।
ऐसी हो इको फ्रेंडली दीपावली
पटाखों की कई वैरायटी मार्केट में मिल रही हैं। इन पटाखों में अधिकांश पटाखे अधिक धुंआ निकालते हैं, वहीं उनके धमाके की आवाज भी बहुत तेज होती है। जो सरकारी मानक डेसिबल की तुलना में कई ज्यादा होती है। लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए पटाखा निर्मांता कंपनियों द्वारा बाजार में इको फ्रेंडली पटाखे उतारे गए हैं, जिनसे धुंआ भी कम निकलता है और मापक डेसिबल में उनकी आवाज भी कम ही होती है। इन पटाखों से धुंआ नहीं निकलता बल्कि रंग बिरंगे कागजों की पत्तियां या थरमाकोल की रंग बिरंगी गोलियां फव्वारे के रूप में निकलती हैं।
मार्केट में नया
बाजार में मैजिक पाइप, खुशी, सुपर सिक्स, कनपटी सेलिब्रेटी, मैजिक अनार, मैजिक कृष्णजाल, शुभ वर्षा, फ्लॉवर पोस्ट, रंग बरसात, फ्लॉवर पॉट, ग्राउंड चक्र, सुप्रीम कलर, गुडिय़ा पेपर हवाई के अलावा कुछ अन्य वैरायटी के पटाखे शामिल हैं। इको फ्रेंडली पटाखें बाजार में 5 रूपए से लेकर 300 रूपए तक की कीमत में उपलब्ध है।